SWARG, स्वर्ग, अच्छे कर्म, पुण्य, पाप

 स्वर्ग 

 अच्छे कर्म

पुण्य

 पाप  

क्या हम में से किसी ने स्वर्ग देखा है?  बड़े - बुजुर्ग, हमारे धर्म ग्रन्थ सभी कहते है अच्छे कर्म करो स्वर्ग जाओगे | 


"गीता" मे भी कहा गया है "जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान", तो इसका मतलब ये है जो कर्म हम यहाँ कर रहे है वही वापस मिलने वाला है |

 स्वर्ग और नरक सब हम अपने कर्म से अपने ही आप - पास बनाते है |  


हमारे धर्मग्रन्थ हमे अपने आस - पास स्वर्ग बनाने के राह दिखाते है हमे मार्ग दर्शन करते है | स्वर्ग और नरक में रहना तो अपने हाथों में है | 


हमें तय करना है कि  "गीता" में  दिया गया "भगवान कृष्ण" का संदेश या "रामायण"  में  "श्री राम और लक्षमण" के कर्म  से हम अपने आस - पास किस तरह से स्वर्ग का निर्माण करें |  

हम अपने मन को फालतू के बातों में उलझाने के बदले अच्छे कर्म में लगाएं | 

 
 अच्छे कर्म के लिए महर्षि वेद व्यासजी ने पुराणों के माध्यम से कहा है - 
"अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् | 
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्" || 

 
महर्षि वेदव्यासजी द्वारा रचित १८ पुराणों में दो विशिष्ट बातें कहे गए है 
 परोपकार करना पुण्य कर्म है 
 दूसरों को दुःख देना  पाप  है |


हमें अपने कर्म सही से करते रहना है | भगवान भी कहते है सत्कर्म करो |  


गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है - "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"। 


रामायण में कहा है - "कर्म प्रधान विश्व करि रखा जो जस करहि सो तस फल चाखा"| 


हमारा कर्म, सच्चाई, बोली, व्यवहार ही स्वर्ग का निर्माण करवाता है | 

तो क्यों न अपने अच्छे कर्म से स्वर्ग को अपने आस - पास बना कर नरक को पनपने ही न दें | 

स्वर्ग बनाने का मार्ग तो हमारे धर्म ग्रंथो में दिखा दिया गया है, परन्तु बनाना तो हमें ही है | 


 क्यों न हम अपने घर को ही स्वर्ग बनाकर रहे | हमें अपने समाज का अपने इर्द - गिर्द सब का परोपकार करना चाहिए और अपने अच्छे कर्म से स्वर्ग का निर्माण करना चाहिए |

 ताकि जब तक जीवन है स्वर्ग में ही जियें | 
 
   



क्या हम में से किसी ने स्वर्ग देखा है?  बड़े - बुजुर्ग, हमारे धर्म ग्रन्थ सभी कहते है अच्छे कर्म करो स्वर्ग जाओगे | 
"गीता" मे भी कहा गया है "जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान",तो इसका मतलब ये है जो कर्म हम यहाँ कर रहे है वही वापस मिलने वाला है | स्वर्ग और नरक सब हम अपने कर्म से अपने ही आप - पास बनाते है |  
हमारे धर्मग्रन्थ हमे अपने आस - पास स्वर्ग बनाने के राह दिखाते है हमे मार्ग दर्शन करते है | स्वर्ग और नरक में रहना तो अपने हाथों में है | हमें तय करना है कि  "गीता" में  दिया गया "भगवान कृष्ण" का संदेश या "रामायण"  में  "श्री राम और लक्षमण" के कर्म  से हम अपने आस - पास या अपने इर्द - गिर्द किस तरह से स्वर्ग का निर्माण करें |  हम अपने मन को फालतू के बातों में उलझाने के बदले अच्छे कर्म में लगाएं | | 

 अच्छे कर्म के लिए महर्षि वेद व्यासजी ने पुराणों के माध्यम से कहा है - 

"अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् | 
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्" ||  

महर्षि वेदव्यास जी ने पुराणों के माध्यम से दो विशिष्ट बातें कही हैं | 

पहली - परोपकार करना पुण्य होता है और दूसरी - पाप का अर्थ होता है दूसरों को दुःख देना |

हमें अपने कर्म सही से करते रहना है | भगवान भी कहते है सत्कर्म करो |  

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है - "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"। 

रामायण में कहा है - "कर्म प्रधान विश्व करि रखा जो जस करहि सो तस फल चाखा" | 

हमारा कर्म, सच्चाई, बोली, व्यवहार ही स्वर्ग का निर्माण करवाता है | तो क्यों न अपने अच्छे कर्म से स्वर्ग को अपने आस - पास बना कर नरक को पनपने ही न दें | स्वर्ग बनाने का मार्ग तो हमारे धर्म ग्रंथो में दिखा दिया गया है, परन्तु बनाना तो हमें ही है | 

 क्यों न हम अपने घर को ही स्वर्ग बनाकर रहे | हमें अपने समाज का अपने इर्द - गिर्द सब का परोपकार करना चाहिए और अपने अच्छे कर्म से स्वर्ग का निर्माण करना चाहिए | ताकि जब तक जीवन है स्वर्ग में ही जियें | 
 
   



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