संदेश

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः | श्रीमद्भागवत गीता

   || ॐ श्री परमात्मने नमः || अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः  श्रीमद्भागवत  गीता  अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः। यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥  कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्‌ । तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्‌ ॥            अन्नात भवन्ति भूतानि   परजन्यात्  अन्न  सम्भवः |  यज्ञात् भवती पर्जन्यः यज्ञः कर्म समुद्भवः || कर्म ब्रम्ह उद्भवं  विद्धि   ब्रम्ह अक्षर समुद्भवम् |  तस्मात् सर्व गतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् ||  अन्नात् - अन्न से;  भवन्ति - उत्पन्न होता है;  भूतानि - भौतिक शरीर; परजन्यात् - वर्षा से; अन्न - अन्न का  सम्भवः - उत्पादन; यज्ञात् - यज्ञ संपन्न करने से;  भवती - संभव होती है   पर्जन्यः - वर्षा;   यज्ञः -  यज्ञ का संपन्न होना;  कर्म -  नियत कर्तव्य से; समुद्भवः - उत्पन्न होता है; कर्म -  कर्म;    ब्रम्ह  -  वेदों ...