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लक्ष्मण -परशुराम संवाद | Lakshman - Parshuram Samwad

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लक्ष्मण -परशुराम संवाद ॐ जय श्री गणेश जय शिव शम्भू जय श्री राम रामनवमी के पावन उत्सव पर रामायण का ये प्रसंग वास्तव में रामायण तो श्री शम्भु की आज्ञा से तुलसीदासजी ने लिखा था | ताकि श्री हरी के श्री राम रूपी अवतार को जन मानस के सामने लाया जाए, जिससे जन मानस अपनी जीवन को सही तरीके से सुख पूर्वक जी सके | राजा जनक के आमंत्रण पर महर्षि विश्वामित्र अपने साथ श्री रामचंद्रजी और लक्ष्मणजी को जनकपुरी में सीता के स्वयंबर को दखने लेकर गए थे | जब कोई भी आमंत्रित राजा महाराजा ने शिव धनुष नहीं तोड़ा तो जनकजी और वहाँ उपस्थित सभी नगरवासी में हल - चल मच जाती है | सभी लोग राजा के लिए गए प्रण से चिंतित हो जाते है सब को लगने लगता है की अब सीता की शादी असंभव है | तभी लक्ष्मण उठ खड़े होते है और भरी सभा को पुरे गर्व से सम्बोधित करते हुए आश्वासन दिलाते है कि ये धनुष मेरे भ्राता तो खेल खेल में तोड़ देगें | श्री राम को बहुत कोमल और कम उम्र का जान कर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि ये संभव हो सकता है | तभी विश्वामित्र मुनि ने श्री रा...