योग और प्राणायाम
योग और प्राणायाम
ॐ सह नाववतु ।
सहनौ भुनक्तु |
सह वीर्यं करवावहै |
तेजस्वि नावधी तमस्तु मा विद्विषावहै |
|| ॐ||
असतो माँ सद्गमय | तमसो माँ ज्योतिर्गमय | मृत्यो माँ अमृतं गमय |
ॐ शांतिः, शांतिः, शांतिः ||
आज घर - घर में योग और प्राणायाम किया जाता है | योग शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने की सहज आध्यात्मिक प्रक्रिया है |
आज सबको पता है योग अभ्यास हमारे शरीर के सारे अंग प्रत्यंग को सुचारु रूप से चलाने के लिए बहुत जरुरी है और प्राणायाम हमे हमारे प्राण वायु से परिचय करवाता है जो हमारे जीवन का आधार है |
हम हर रोज अपनी दिनचर्या में से १ घंटा भी समय निकाल ले और योग कर लेते है तो शरीर के सारे थके कल पुर्जा में पुनः जान आ जाता है |
किन्तु योग और प्राणायाम को किसी योग शिक्षक से सीखकर करना सही होता है | किसी भी अभ्यास को शुरू करने और अंत करने की सही प्रक्रिया जाने वगैर योगाभ्यास करने से लाभ के बदले हानि होता है |
यदि हम सही तकनीक जानकर अभ्यास करते है तो योग और प्राणायाम हमारे शरीर को नयी ऊर्जा से भर देता है |
अब जैसे हम योग अभ्यास करते है तो शरीर का प्रत्येक अंग प्रत्यंग में जान आ जाता है तो वही प्राणायाम करते है तो शरीर में प्राण ऊर्जा का समावेश हो जाता है और वो पुरे शरीर, मन और आस - पास के औरा सबको को शुद्ध कर देता है | अद्भुत है ये अभ्यास |
प्राणायाम शुरू करने के भी नियम है | हमें तरीके से बैठना अपने शरीर और कन्धों को स्थिर कर तरीके से व्यवस्थित करना भी समझना होता है | मन को भी स्थिर करना सीखना होता है |
प्राणायाम में कपालवाटी, अनुलोम विलोम, भस्त्रिका, वगैरह बहुत सारे प्राणायाम है | इनमे से कपालवाटी को ही ले लेते है | इस में हम वायु को दबाब के साथ सिर्फ छोड़ने पर जोड़ देते है तो इस दौरान प्राण वायु की कमी होती है इस कारण कपालवाटी प्राणायाम शुरुआत में २० ,३० श्वास तक ही करते है | लेकिन इसे धीरे धीरे ५० और ज्यादा से ज्यादा १०० श्वास तक ही करते है | उससे ज्यादा करने से हानि होता है |
लेकिन अनुलोम विलोम में हम जितना श्वास भरते है उतना ही छोड़ते है तो इसे हम कितना भी कर सकते है | कैसे श्वास लेना है कैसे छोड़ना है कैसे रोकना है, कहाँ बंध लगाना सही है, कहाँ बांध लगाना गलत है सभी बातों को सही से समझना होता है |
इसी तरह हर योग और प्राणायाम को बहुत तरीके से करना सीखकर ही प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए और पूर्ण लाभ लेना चाहीये |
योग को कभी भी सीधा जमीन पर बैठकर नहीं करना चाहिए कोई चादर, दरी वगैरह पर ही करना चाहिए | क्यूंकि पृथ्वी भी हमारी ऊर्जा को खीच लेती है | योग और प्राणायाम का अंत जब करते है तो चैतन्य अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होता है |
वो योग और प्राणायाम के बाद हमारे शरीर को आराम देने की स्थिति होती है और हम फिर से ऊर्जावान हो जाते है |
|| ॐ शांति ||
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