राम को देखकर श्री जनक नंदनी
राम को देखकर श्री जनक नंदनी
राम को देखकर श्री जनक नंदनी-2,
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं |
राम देखे सिया माँ सिया राम को - 2
चार अखियाँ लड़ी की लड़ी रह गयीं |
राम को देखकर -----
थे जनकपुर गए देखने के लिए | - २
सारी सखियाँ झरोखन से झाँकन लगी | - २
देखते ही नज़र मिल गयीं दोनों की | -2
जो जहां थी खड़ी की खड़ी रह गयीं |
राम को देखकर श्री जनक नंदिनी - २
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं |
राम को देखकर ------
बोली है एक सखी राम को देखकर -- 2
रच दिए है विधाता ने जोड़ी सुघर | -2
पर धनुष कैसे तोड़ेंगे बाली उमर - २
सब में शंका बनी की बनी रह गई
राम को देखकर श्री जनक नंदनी -2
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं |
राम को देखकर -----
पर चमत्कार इनका नहीं जानती - 2
एक ही बाण में तड़का राक्षसी - २
उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयीं
राम को देखकर श्री जनक नंदनी बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं | - २
राम देखे सिया माँ सिया राम को चार अखियाँ लड़ी की लड़ी रह गयीं | - २
राम को देखकर श्री जनक नंदनी - २
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं | - २
राम को देखकर श्री जनक नंदनी -
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं | -
बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं | - २
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