कोई लाख करे चतुराई, #bhajan

  

   कोई लाख करे चतुराई

koi lakh kare chaturai

 karam ka lekh mite na re bhai


 कोई लाख करे चतुराई, 

करम  का लेख मिटे ना रे भाई ।

करम  का लेख मिटे ना रे भाई ।

ज़रा समझो इसकी सच्चाई रे, 

करम  का लेख मिटे ना रे भाई ।


इस दुनिया में भाग्य के आगे, 

चले ना किसी का उपाय ।

कागद हो तो सब कोई बांचे, 

करम ना बांचा जाए ।

एक दिन इसी किस्मत के कारण,

 वन को गए थे रघुराई रे ॥

करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥

कोई लाख करे चतुराई, 

करम  का लेख मिटे ना रे भाई ।

करम  का लेख मिटे ना रे भाई ।


काहे मनवा धीरज खोता,

 काहे तू नाहक रोए ।

अपना सोचा कभी ना होता, 

भाग्य करे सो होए ।

चाहे हो राजा चाहे भिखारी, 

ठोकर सभी ने यहाँ खायी  रे  ॥

करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥

कोई लाख करे चतुराई, 

करम  का लेख मिटे ना रे भाई ।

करम  का लेख मिटे ना रे भाई ।

कोई लाख करे चतुराई,  


हम सब लोग अपने अपने कर्म करते रहते है, चाहे वो अच्छे हो या बुरे |   

हम ये कभी नहीं सोचते की हम जो कर रहे है उसे हमारे ही अंदर बैठा कोई चुप - चाप साक्षी बन देखता रहता है | 

यह साक्षी और कोई नहीं, हमारी खुद की आत्मा होती है | 

हमारी आत्मा हमारे पुरे जीवन के कर्मों का लेखा - जोखा रखती है| 

सिर्फ इतना ही नहीं हमारे पूर्व जन्म के कर्मों का भी लेखा - जोखा आत्मा के पास होता है |

 इन सब कर्मों के आधार पर ही हमारा कर्म फल रूपी भाग्य निर्धारित होता है | 

 कोई कितनी भी चतुराई कर ले - मंदिर के द्वार पर  जाए , रोज पूजा करे, 

  भगवान् को लाडू या पेड़ा का भोग लगाए ,  दौर - दौर कर सारे तीर्थों  के चक्कर लगाए , कुम्भ स्नान करे,    या कोई भी उपाय कर ले - अपने भाग्य से नहीं बच सकता है |

  उसे हर हाल में भुगतना ही पड़ता है |

 इस लिए सिर्फ अच्छे कर्म करते रहना चाहिए |

वही सबसे बड़ी पूजा है | 

हमारे कर्म ऐसे होने चाहिए की किसी को दुःख न पहुँच पाए | 

तभी हम सही राह पर है | 

यही सबसे बड़ी पूजा है | 

"कोई लाख करे चतुराई, 

करम  का लेख मिटे ना रे भाई" ।

 


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