Betiyan | बेटियां | Betiyaan
बेटियां
बेटियां बोझ नहीं सौभाग्य होतीं है |
बेटियां दो कुल की मर्यादा होतीं है |
घर - आँगन की आन- बान और शान होतीं है बेटियां |
लोगो को बेटियां अच्छी नहीं लगती ऐसी बात नहीं है । बात तो ऐसी है कि इन्हें कितना भी पढ़ाओ - लिखाओ इन्हें तो दूसरे घर जाना है। जब तक माँ बाप के साथ होती है उसके पीछे ही रहना पड़ता है। बेटियों की वजह से जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती है।
जब वो विदा होतीं है तो दहेज में अपने पिता की सारी जीवन की कमाई बटोर ले जाती है और बस इन्हीं कारणों से बेटियाँ भारी बोझ होती है। यही वो वजह है जिसके कारण लड़कियों को जन्म लेते ही माँ और बेटी दोनों पर कहर टूट जाती है और इस नाजुक सी फूल को सही माहौल में खिलने से वंचित कर दिया जाता है।
हम सब को मिलकर इस दहेज़ रूपी विषाक्त जड़ को उखार फेंकना हैं। फिर हर घर में बेटियों का आगमन भी शुभ आगमन हो जायेगा ।
बेटियों का होना एक सौभाग्य की बात है। कहते है जिस घर में बेटियों का सम्मान होता है उस घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है |
संस्कृत का एक श्लोक भी है -
"यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता | यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः"||
जहां स्त्रियों का मान - सम्मान होता वहाँ
ईश्वर आनंदित रहते है, ईश्वर को भी वही स्थान मनोहर लगता है | जहां स्त्रियों को सम्मान नहीं मिलता वहाँ अच्छे काम में भी सफलता नहीं मिलती |
बेटियां तो जिन के घरो में होती है वही जानता है उनके होने का सुख। ये जिस घर में होती है, बहार वहीं होती है।
बस इन्हें एक सही साथी की जरुरत होती है, जो सिर्फ एक माँ ही हो सकती है। चूँकि माँ इस दौर से गुजर चुकी होती है तो वो उसकी हर जरुरत को समझ सकती है। उसकी हर बात एक माँ से बेहतर कौन समझ सकता है।
पर मैंने देखा है, बेटियों का अपने पिता और भाई के साथ बहुत ही मधुर संबंध होता है, क्योंकि उनसे अपनी मनमानी जो करवानी होती है।
उन्हें यदि सही माहौल दिया जाए तो वो सब की लाडली बन जाती है । बस उन्हें अच्छे संस्कारो से हर वक़्त अवगत कराते रहने की जरूरत है ।
उनको जो अच्छे संस्कार और ज्ञान अपने माता - पिता से मिलते हैं वो ही उनके नए जीवन की सुन्दर शुरुआत में काम आते हैं । वो जहाँ जाती हैं उस घर को भी आबाद कर देती हैं। बेटियां तो दो कुल का सौभाग्य होती हैं |
कहते है जब एक बेटी को शिक्षित किया जाता है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है | इसलिए बेटियों को सही संस्कार और मर्यादा के साथ शिक्षित करना होता है |
सुशिक्षित और सुसंस्कृत बेटियां जहां से गुजरती है वहीं आबाद कर देती है |
बेटियां तो घर - आँगन की आन- बान और शान होतीं है |
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