पति -पत्नी के संबंध / Pati Patni Ke Sambandh

                                                               पति -पत्नी के संबंध   


                                "दो हृदय मिले दो फूल खिले ,दो सपनो ने  श्रृंगार किया ,
                               दो दूर देश के पथिकों ने संग -संग चलना स्वीकार किया ।" 

इतना सुंदर उद्धरण अक्सर शादी के कार्ड में पढ़ने को मिल जाता है और ये  बिल्कुल सही भी है । कोई नहीं जानता किसके संग किसके जीवन की डोर बंधी है । जब दो हृदय मिलते है तो दोनों के बीच स्नेह बढ़ता है फिर विश्वास बढ़ता है। इसी विश्वास और स्नेह  के बल पर दो अलग- अलग माहौल और परिवार से आए युवक और युवती एकदूसरे के साथ पूरा जीवन कदम से कदम मिलाकर चलना स्वीकार करते है । अग्नि को साक्षी मानकर पुरे समाज के सामने पति- पत्नी बन जाते है। शुरू में तो उन्हें यही लगता है कि ये दुनिया कितनी सुंदर है और इस दुनिया में बस हम दो ही होते और मन ही मन गाते है ---- 

"कितना हसीं है मौसम, कितना हसीं सफर है, साथी है खूबसूरत, ये मौसम को भी खबर है।"

फिर उनके जीवन में एक नन्हा फरिश्ता आता है | उनकी जिम्मेदारियाँ बढ़नी शुरू होती है | वो गंभीर होते जाते है | अपने बच्चों की परवरिश और परिवार की जिम्मेदारी उनके जीवन को गंभीर बना देती है | किन्तु एक दूसरे के ऊपर भरोसा और विश्वास उनको इस कदर प्रेम की डोर में बांधे रखता है कि वो किसी भी जिम्मेदारी को मस्ती से निभाते है | विश्वास की ही तो वो डोरे है जो किसी भी पति पत्नी के सम्बन्ध को मजबूती देता है | अगर दोनों एक दूसरे की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बातों को जानते और समझते हों, उनके बीच  खुलापन हो तो सम्बन्ध हमेशा मधुर बना रहता है | यही सबसे बड़ा राज होता है पति पत्नी के मधुर सम्बन्ध का | 

अगर हर काम चाहे वो  छोटी हो या बड़ी दोनों की सहमति से होतो हर मुश्किल चुटकी बजाते आसान होती है,  कोई परेशानी आये भी तो टिकती नहीं है | इसलिए दोनो को हर विषय वस्तु पर एक सहमति बना कर ही काम करना चाहिए। भले ही मत भेद हो मन भेद न हो | एक दूसरे के बातो का और एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। पति- पत्नी यदि ऐसा करते है तो अपने बच्चों और आगे की पीढ़ी को भी  एक अच्छा संस्कार मिल जाता है। दोनों के बीच प्यार हमेशा बना रहे इसके लिए दोनों को एक दूसरे को पूरा वक़्त भी देना चाहिए। एक दम मस्त रहकर जीवन बिताना चाहिए। कभी -कभी मस्ती भरे लड़ाई- झगड़े  भी होनी ही चाहिए। नहीं तो जीवन का आधा मज़ा बाकी ही रह जायेगा। पति को चाहिए की वो अपनी पत्नी की जरुरत को उतने ही प्यार से पूरा करे जितना वो अपनी पत्नी से उम्मीद करता है । क्योंकि पति ही एक होता है जिसके पास उसकी पत्नी सारे घर -परिवार, रिस्ते -नाते सब से बिदा ले कर आ जाती है।अगर पति अपनी पत्नी का ख्याल रखे तो पत्नी  हमेशा खुश रहती है और सब कुछ ,सारी जिम्मेदारी ख़ुशी- ख़ुशी निभाती है । एक पत्नी अपनी सारी चाहत पति से ही करती है । पत्नी को भी चाहिए की चाहत अपने दायरे में रह कर ही करे । पति-पत्नी  के बिच प्यार हमेशा बिना शर्त [unconditional ]के होनी चाहिए, इतना भी कर लिया तो पुरे घर का माहौल खुशनुमा बना रहता है और दोनो का संबंध भी हमेशा मधुर बना रहता है।
     सच तो ये है की पति पत्नी को एक सच्चा जीवन- साथी होना चाहिए।
दोस्त वैसा जो सुख हो या दुःख हर परिस्थिति में साथ - साथ पग रखे, सहारा दे।                                        

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