हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है | स्वाहा | Swaha | Hawan - swaha

  "हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है "?

"स्वाहा "



 हमारे हिन्दू संस्कृति में किसी उत्सव में या कोई नया काम शुरू करते है तो पूजा करते है उसमें हवन करते है | हवन हमारे आस पास के वातावरण को शुद्ध करता है | अग्नि में जो भी सामग्री से आहुति दी जाती है वो सब आयुर्वेदिक होता है और उसके अग्नि में जाने से पूरा वातावरण शुद्ध होता है | 

जहाँ तक हवन का धुंआ जाता है पूरा वातावरण शुद्ध, सुगन्धित, कीटाणु और विषाणु रहित हो जाता है हवन का ये सबसे बड़ा फायदा है | इसलिए कहा जाता है हवन से वातावरण रोग मुक्त हो जाता है | 

 जब हम हवन करते है तो मंत्रोच्चार भी करते है | मंत्रोचार में तो इतनी क्षमता होती है कि वो केवल वातावरण ही नहीं अपितु  मन, आत्मा को भी शुद्ध करता है | हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है

हम जब देवी के अर्गलास्त्रोत्र पढ़ते है तो उसमे आता है  --  "ॐ जयंती मंगला काली भद्र काली कपालिनी दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा, नमस्तुते"||

  इस मंत्र में जो भी नाम आया है ये सब दुर्गा की स्वरुप है | तो हम चाहे जो भी हवन करते है अग्नि को प्रसन्न करने के लिए साथ ही साथ मंत्र को पुष्ट करने के लिए "माँ शक्ति" के "स्वाहा" स्वरुप को जोड़कर ही आहुति देते है |  ये स्वाहा स्वरूपा माँ शक्ति अग्नि देव की धर्मपत्नी है और उनके बिना अग्नि देव आहुति स्वीकार नहीं करते है।  

जब हवन करते है तो जिस भी मंत्र को हम प्रतिदिन जपते है उससे हवन में आहुति देते है | जिस भी मन्त्र को पुष्ट करना होता है उसका उच्चारण कर मन्त्र के अंत में "स्वाहा" कहकर अग्नि में आहुति दी जाती है |

  जैसे -  "ॐ नमः शिवाय स्वाहा" | "ॐ ऐं ह्रीं क्लीम चामुण्डायै विच्चे स्वाहा"|  "स्वाहा"के बिना हम प्रज्वलित हवन में आहुति नहीं देते है | हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है

 हवन में प्रज्वलित अग्नि को प्रशन्न करने के लिए "स्वाहा" कहते है | "स्वाहा" वास्तव में अग्नि देव कि पत्नी है | हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है

हवन को करने में एक रीती है -  पुरुष अकेले भी हवन कर सकते है किन्तु स्त्री अपने पति के साथ  बैठ कर हवन करती है  हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है हवन में आहुति देने में स्वाहा क्यों कहते है

 

 

पलाश के अद्भुत फायदे

संतुष्टो भार्यया भर्ता भर्त्रा भार्या तथैव च 

  Neem its benefits

सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम

Aloe vera and its benefits 


 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

लाले रंग सिंदुरवा लाले रंग पुतरिया हो की लाले रंगवा

सुभाषितानि | Subhashitani | रूप-यौवन-सम्पन्नाः विशाल-कुल-सम्भवाः ।

कन्यादान गीत | Vivah geet | Kanyadaan geet | बेटी दान गीत | विवाह गीत | कन्यादान गीत