तू खुद की खोज में निकल | लेखक - तनवीर गाजी, Sri Tanveer Gazi ki rachna
तू खुद की खोज में निकल
लेखक : - तनवीर गाजी
तू किसलिए हताश है,
तू चल तेरे बजूद की आज समय को भी तलाश है |
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ है,
समझ न इन को वस्त्र तू
ये बेड़ियां पिघला के
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है,
तू चल तेरे बजूद की
आज समय को भी तलाश है |
चरित्र जब पवित्र है
तोह क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं
की ले परीक्षा तेरी |
तू खुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है,
तू चल तेरे बजूद की
आज समय को भी तलाश है |
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है |
तू खुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है,
तू चल तेरे बजूद की
आज समय को भी तलाश है |
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा,
अगर तेरी चूनर गिरी
तोह एक भूकंप आएगा |
तू खुद की खोज में निकल,
तू किसलिए हताश है,
तू चल तेरे बजूद की
आज समय को भी तलाश है |
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