करें जब पाँव खुद नर्तन, नीरज गोस्वामी जी की रचना
करें जब पाँव खुद नर्तन
नीरज गोस्वामी जी की रचना
करें जब पाँव खुद नर्तन
नीरज गोस्वामी जी की रचना
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
लगे बीवी वही नूतन, समझ लेना कि होली है ||
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
करें जब पाँव खुद नर्तन
कभी खोलो हुलस कर आप, अपने घर का दरवाजा
खड़े देहरी पे हों साजन, समझ लेना कि होली है
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
करें जब पाँव खुद नर्तन
तरसती जिसके हों दीदार तक को आपकी आंखें
उसे छूने का आये क्षण, समझ लेना कि होली है||
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
हमारी ज़िन्दगी यूँ तो है इक काँटों भरा जंगल
अगर लगने लगे मधुबन, समझ लेना कि होली है
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
बुलाये जब तुझे वो गीत गा कर ताल पर ढफ की
जिसे माना किये दुश्मन, समझ लेना कि होली है
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
अगर महसूस हो तुमको, कभी जब सांस लो 'नीरज'
हवाओं में घुला चन्दन, समझ लेना कि होली है
करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है ||
करें जब पाँव खुद नर्तन
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