सीता - राम की पहली नजर में, Sri Ramcharitmanas

सीता - राम की पहली नजर में


श्री रामचंद्र जी के द्वारा सीताजी की खूबसूरती का वर्णन


स्वयंबर से पहले सीताजी सखियों सहित गौरी पूजन करने गयीं |

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उस समय राम और लक्ष्मण दोनों भाई भी अपने गुरु की पूजा के लिए बगिया से फूल तोड़ने गए थे | उनकी नजर सीताजी पर पड़ी और टिकी ही रह गयी | उनकी खूबसूरती को रामजी देखते ही मंत्रमुग्ध हो गए |
 


संध्या का समय हुआ | संध्या वन्दना के समय उनकी नजर पूर्व दिशा में उदित सूंदर चन्द्रमा पर पड़ी | श्री राम जी ने चन्द्रमा की तुलना सीताजी के मुख से किया और बहुत खुश हुए |



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फिर उनके मन में आया यह चन्द्रमा सीताजी के मुख के सामान नहीं हो सकता |
एक तो खारे समुद्र में इसका जन्म हुआ है और विष इसका भाई है |




दिन मे तो चन्द्रमा शोभाहीन और निस्तेज रहता है, साथ ही काला दाग भरा है | चन्द्रमा सीताजी के मुख की बराबरी नहीं कर सकता | ये घटता बढ़ता भी है जिसके कारण बिरहिनि स्त्रियों को दुःख पहुँचता है | राहु इसे ग्रस लेता है | कमल का बैरी है | इस चाँद में तो बहुत सारे अवगुण है इसका सीताजी के मुख से बराबरी करना अनुचित है |

सीताजी की खूबसूरती में रामजी ऐसे मंत्रमुग्ध हो गए थे कि उन्हें चन्द्रमा में भी खोट दिखने लगा |










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