शिव शम्भू के स्वरुप का मतलब
आइये शिव शम्भू के स्वरुप के बारे मे जाने
जटा पे चन्द्रमा विराजित है, और उससे गंगा निकल रही है, गले मे सर्प की माला है, कंठी के ऊपर विष धरा हुआ है और कमर पे बाघम्बर को लपेटे हुए है, साथ मे त्रिशूल भी है |
शिव शम्भू का स्वरुप, ये दर्शाता है की जो भी व्यक्ति घर का चन्द्रमा बन के रहेगा खाश कर घर का सबसे बड़ा को चन्द्रमा बनकर रहना चाहिए, चन्द्रमा ज्ञान देने वाला होता है | घर के बड़े बुजुर्ग ज्ञान देते है संस्कार सिखाते है | हर वक़्त उस ज्ञान का मंथन चालू रहना चाहिए, ये दर्शाता है जटाओं से गंगा का बहना | पुरे परिवार माँ - बाप, चाचा - चाची, दादा - दादी, आस - पड़ोस के साथ मिलकर जो रोज - रोज नयी - नयी बातें लेकर बैठते है, गले मे लिपटे सर्प को सम्बोधित करता है | किससे कैसे बात करना है, क्या बोलना है, कैसे बोलना है , कितना बोलना है, सोच समझ कर बात करना है, उसमे से कोई कब क्या बोल दे , कही पन्गा न हो जाए कहीं आपस मे लड़ाई - झगड़े न हो जाए, और ये लड़ाई झागड़े नहीं होनी चाहिए, इन सब बातों को घर के बड़ों को सोचना पड़ता है, उनमें से कोई एक सदस्य ऐसा कड़वा बोल जाता है कि घर टूट कर बिखर भी सकता है, इसलिए घर के बड़ों को कंठी मे विष भी रखना होता है क्यूंकि बात न तो उगलते बनता है ना ही निगलते | इसी को कंठी मे विष रखना बोलते है | अपने परिवार की जिम्मेदारी इंसान को इस तरह की बना देता है की वो सबकी जरूरतों को पूरा करता है खुद की परवाह किये बिना चाहे उसके खुद के तन ढके या नहीं, ये है बाघम्बर का मतलब | सब के रक्षक और रीढ़ की हड्डी की तरह अडिग यानि त्रिशूल | ये होते है चन्द्रमा यानि घर के सबसे बड़ा होने का मतलब |
शिव शम्भू हमारे भोले बाबा का स्वरुप हमे दुनिया दारी सिखाता है |
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