तुलसी माला की महिमा | तुलसी की महिमा | Tulsi mala ki mahima
जय श्री राम
जय जय श्री राधे
गले में तुलसी माला पहनने की महिमा
Tulsi mala ki mahima
तुलसी माला की महिमा
Tulsi mala ki mahima
गले में तुलसी माला पहनने की महिमा
वैष्णव जन अपने गले में तुलसी माला धारण करते है | इसका कारण है जो लोग तुलसी माला पहनते है वो पूरी तरह से भगवान विष्णु के आधीन होते है | वो मन कर्म और वचन से भगवान के आधीन होते है |
उन्होंने स्वयं को भगवान को अर्पित कर दिया है |
भगवान गोविन्द की तीव्र भक्ति चाहिए तो तुलसी की सेवा करनी चाहिए |
जिनके गले में तुलसी माला हो उनके नजदीक यमराज भी आने से डरते है | उनको यमराज नहीं छू सकते | यमराज भी तुलसी माला देखकर भाग जाते है कि ये तो वैष्णव है | इसको बैकुंठ जाना है इसे मैं स्पर्श नहीं कर सकता |
कबीरदास जी का एक प्रशिद्ध दोहा है -
मन कुत्ता दर - दर फिरे , दर - दर - दुर - दुर होय,
एक ही दर - का होय रहे , दुर - दुर - करे न कोय ।
कबीरदास जी कहते है -
मन कुत्ते की तरह दर - दर भटकता है तो लोग उसे दूर - दूर कर के भागते है | लेकिन उसी कुत्ता को कोई अपने घर में रख लेता है और उसकी देख रेख करने लगता है फिर तो उसकी बात ही न पूछो | उसका मान बढ़ जाता है | उसे कोई दूर - दूर नहीं करता है |
"कबिरा कुत्ता राम का, मोतिया मेरा नाम।
गले राम की जेवरी, जित खैंचे तित जाऊँ"।
कबीरदासजी कहते हैं--मैं तो राम का कुत्ता हूँ, और मेरा नाम मुतिया (मोती) है गले में राम की जंजीर पड़ी हुई है | मैं उनके आधीन हूँ | उधर ही चला जाता हूँ जिधर वह ले जाते है। श्री राम के प्रेम के ऐसे बंधन से बंधा हूँ |
यदि हम भगवान से प्रेम करते है और अपने आप को उनका दास समझते है तो तुलसी माला हमें जरूर पहनना चाहिए |
कहते है भगवान् को तुलसी अति प्रिय है उनको कितना भी अच्छा भोग लगाया जाए किन्तु उसमे तुलसी न हो तो भगवान उसे स्वीकार नहीं करते है |
तुलसी भगवान को अति प्रिय है | जाहे वो तुलसी माला हो या तुलसी पत्र, तुलसी का पौधा | भगवान को प्रेम से तुलसी पत्र के साथ भोग अर्पित करते है तो भगवान प्रसन्न होकर अपना भोग ग्रहण करते है | तुलसी उनकी सबसे करीबी पार्षद है |
अपने भक्तों के द्वारा सच्चे भाव और श्रद्धा से अर्पण किया हुआ भोग और जल भगवान ग्रहण करते है |
शंकराचार्यजी द्वारा रचित भज गोविन्दम् के अनुसार
"पुनरपि जननं पुनरपि मरणं पुनरपि जननीजठरे शयनम्। इह संसारे बहुदुस्तारे कृपयापारे पाहि मुरारे" ||
अर्थ:-
बार-बार जन्म, बार-बार मृत्यु, बार-बार गर्भ में शयन, इस संसारसे पार जा पाना बहुत कठिन है, हे मुरारी, कृपा करके इससे मेरी रक्षा करें ॥
हे परम पूज्य परमात्मा! मुझे अपनी शरण में ले लो। मैं इस जन्म और मृत्यु के चक्कर से मुक्ति प्राप्त करना चाहता हूँ। मुझे इस संसार रूपी विशाल समुद्र को पार करने की शक्ति दो ईश्वर।
जब तक जीव कृष्ण भक्ति में परिपक्वता न लाये | पूर्ण रूपेण विकसित होकर कृष्ण प्रेम की प्राप्ति न करे | तब तक ब्रह्माण्ड के विभिन्न योनियों में भ्रमण करना निश्चित है | एक जन्म से दूसरे जन्म में भ्रमण करना निश्चित है |
किन्तु यदि व्यक्ति एक बार तुलसी के काष्ट की माला को गले में धारण कर ले तो जन्म, मृत्यु, ज़रा, व्याधि से मुक्ति का दायित्व तुलसी देवी का हो जाता है|
तुलसी धारण करने वाले का तुलसी देवी कल्याण करती है |
तुलसी देवी सदैव गोविन्द के चरणों में स्थित है
तुलसी धारण करेने वाले को भगवान अपना सबसे करीबी समझते है | उसका वो कभी त्याग नहीं करते है |
तुलसी का मतलब है जो अतुल्य है |
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे ||हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
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हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे || हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे ||
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