नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करो जग में रह कर कुछ नाम करो यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो कुछ तो उपयुक्त करो तन को नर हो, न निराश करो मन को। संभलो कि सुयोग न जाय चला कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला समझो जग को न निरा सपना पथ आप प्रशस्त करो अपना अखिलेश्वर है अवलंबन को नर हो, न निराश करो मन को। जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो उठके अमरत्व विधान करो दवरूप रहो भव कानन को नर हो न निराश करो मन को। निज गौरव का नित ज्ञान रहे हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे मरणोंत्तर गुंजित गान रहे सब जाय अभी पर मान रहे कुछ हो न तजो निज साधन को नर हो, न निराश करो मन को। प्रभु ने तुमको कर दान किए सब वांछित वस्तु विधान किए तुम प्राप्त करो उनको न अहो फिर है यह किसका दोष कहो समझो न अलभ्य किसी धन को नर हो, न निराश करो मन को। किस गौरव के तुम योग्य नहीं कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं जन हो तुम भी जगदीश्वर के सब है जिसके अपने घर के फिर दुर्लभ क्या उसके जन को नर हो, न निराश करो मन को। करके विधि वाद न खेद करो निज लक्ष्य निरन्तर भेद कर...
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सप्तपदी | सात फेरों के सातों वचन |Vivah sanskar
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सप्तपदी | सात फेरों के सातों वचन |Vivah sanskar सात फेरों के सातों वचन प्यारी दुल्हनिया भूल न जाना | प्यार का एक मंदिर है मन, मन में मूरत सजन की बसाना | सनातन धर्म में विवाह एक संस्कार है लेकिन दूसरे धर्मों में विवाह एक समझौता होता है | संस्कार भ्र्ष्ट हो सकता है लेकिन कभी टूटता नहीं है यही कारण है की सनातन धर्म के किसी भी धर्म ग्रंथ या शास्त्र में विवाह टूटने जैसे कोई शब्द तक नहीं है | परन्तु समझौता टूटता है और तोड़ा जा सकता है | जबकि दूसरे धर्मों में devorce , तलाक अदि जैसे शब्द है | हिन्दू धर्म में विवाह के दौरान सात फेरे लिए जाते है जिन्हे सप्तपदी कहते है | सप्तपदी के सातों वचन वधु अपने वर से मांगती है | यही वचन है जो पति पत्नी के दाम्पत्य जीवन को खुशहाल और सफल बनता है | दोनों के जीवन में कभी कोई बाधा नहीं आती | ये सात वचन है पहला वचन:- वधु अपने पहले वचन में कहती है कभी आप तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना | कोई व्...
योग और प्राणायाम
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योग और प्राणायाम ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ सह नाववतु । सहनौ भुनक्तु | सह वीर्यं करवावहै | तेजस्वि नावधी तमस्तु मा विद्विषावहै | || ॐ|| असतो माँ सद्गमय | तमसो माँ ज्योतिर्गमय | मृत्यो माँ अमृतं गमय | ॐ शांतिः, शांतिः, शांतिः || आज घर - घर में योग और प्राणायाम किया जाता है | योग शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने की सहज आध्यात्मिक प्रक्रिया है | आज सबको पता है योग अभ्यास हमारे शरीर के सारे अंग प्रत्यंग को सुचारु रूप से चलाने के लिए बहुत जरुरी है और प्राणायाम हमे हमारे प्राण वायु से परिचय करवाता है जो हमारे जीवन का आधार है | हम हर रोज अपनी दिनचर्या में से १ घंटा भी समय निकाल ले और योग कर लेते है तो शरीर के सारे थके कल पुर्जा में पुनः जान आ जाता है | किन्तु योग और प्राणायाम को किसी योग शिक्षक से सीखकर करना सही होता है | किसी भी अभ्यास को शुरू करने और अंत करने की सही प्रक्रिया जाने वगैर ...
दीपम ज्योति नमः स्तुते | Dipam Jyoti Namostute | Dipam vandana | Dipamvandana | Dipakprathna
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दीपम ज्योति प्रार्थना हम सभी अपने घरों में हर रोज सुबह - शाम दीपक जलाते है | दीप अग्नि का रूप है, दीपक अपनी ज्योति से चारों ओर प्रकाश फैलता है और अंधकार को हर लेता है,हमें सही दिशा प्रदान करता है आरोग्य बनाता है | हमारे चारों ओर स्वच्छ वातावरण प्रदान करता है | दी प प्रकाश हर तरह के रोगाणुओं को नष्ट करता है और वातावरण स्वच्छ करता है | जिससे हम स्वस्थ और सुखी रहते है | कहते है जहाँ दीपक जलता है वहाँ लक्ष्मी का वाश होता है | किसी भी शुभ काम का आरम्भ हम दी प जला कर करते है | शुभम करोति कल्याणम, आरोग्यम धन सम्पदा | शत्रु बुद्धि विनाशाय दीप ज्योति नमोःस्तुते | दीप ज्योति परम ब्रम्हः, दीप ज्योति जनार्दन, दीप हरतु मे पापं, दीपम ज्योति नमः स्तुते || जब हम शाम के समय घर में दीपक जलाते है तो दीपक के लिए इस प्रकार प्रार्थना करते है ------ शुभम करोति कल्याणम, आरोग्यम धन सम्पदा | शत्रु बुद्धि विनाशाय द...
सुंदरकांड श्लोक - भाग १, तुलसीकृत श्री रामचरितमानस, पञ्चम सोपान
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ॐ श्री गणेशाय नमः सुंदरकांड पञ्चम सोपान श्लोक शान्तं शाश्वतं प्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रम्हाशम्भूफणीन्द्रसेव्यमनीशं वेदांतवेद्यं विभुं | रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देSहम् करुणाकरं रघुवरं भुपालचूड़ामणिम || शांत, सनातन[जिसका आदि - अंत नहीं है] ,अप्रमेय [जिसका प्रमाण नहीं है], निष्पाप [बिना पाप का], परमशान्ति देनेवाला, ब्रम्हा, शम्भू और शेषजी के द्वारा हर वक़्त ध्यान किये जाने वाला, वेदांत [ब्रम्हविद्या] के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले समस्त पापों को हरनेवाले, करुणाकी खान रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलानेवाले जगदीश्वर की मैं वंदना करती हूँ | नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेSस्मदीये सत...
मैथिलि विवाह गीत | Vivah geet
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मैथिलि विवाह गीत मंगल आज जनकपुर, अति मनभावन हे | आज मंगल दूल्हा - दुल्हिन, परम सुहावन हे | आहे मंगल बाजन बाजै, सखी सब मंगल हे | आहे गावथी मंगल गीत, जनक घर मंगल हे | आहे देवगन फूल बरसावथी, सुर सब मंगल हे | आहे सियाजी के आजु छन विवाह, जनक घर मंगल हे | आहे मंगल श्री राम दूल्हा सिया भेली दुल्हिन हे | आहे मिथिला आजु सुमंगल, घर - घर मंगल हे | मंगल आज जनकपुर, अति मनभावन हे |
Pradosh Ashtakam | Shiva stuti
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प्रदोषस्तोत्राष्टकम् [Pradosh Ashtakam] सत्यं ब्रवीमि परलोकहितं ब्रवीमि सारं ब्रबीम्युपनिषद्ददयं ब्रवीमि संसार मूल्बणमसारमवाप्य जन्तो: सारोऽयमीश्वरपदाम्बुरुहस्य सेवा ये नार्चयन्ति गिरिशं समये प्रदोषे, ये नाचितं शिवमपि प्रणमन्ति चान्ये। एतत्कथां श्रुतिपुटैर्न पिबन्ति मूढास्ते, जन्मजन्मसु भवन्ति नरा दरिद्राः॥ ये वै प्रदोषसमये परमेश्वरस्य, कुर्वन्त्यनन्यमनसांऽघ्रिसरोजपूजाम् । नित्यं प्रवृद्धधनधान्यकलत्रपुत्र सौभाग्यसम्पदधिकास्त इहैव लोके ॥ कैलासशैवभुवने त्रिजगज्जनिनित्रीं गौरीं निवेश्य कनकाचितरत्नपीठे । नृत्यं विधातुमभिवांछति शूलपाणौ देवाः प्रदोषसमये नु भजन्ति सर्वे॥ वाग्देवी धृतवल्लकी शतमखो वेणुं दधत्पद्मजस्तालोन्निद्रकरो रमा भगवती गेयप्रयोगान्विता । विष्णुः सान्द्रमृदंङवादनपयुर्देवाः समन्तात्स्थिताः, सेवन्ते तमनु प्रदोषसमये देवं मृडानीपातम् ॥ गन्धर्वयक्षपतगोरग-सिद्ध-साध्व- विद्याधराम रवराप्सरसां गणश्च । येऽन्ये त्रिलोकनिकलयाः सहभूतवर्गाः प्राप्ते प्रदोष समये हरपार्श्र्वसंस्थाः ॥ अतः प्रदोषे शिव एक एव पूज्योऽथ नान्ये हरिपद्मजाद्याः । तस्मिन्महेशे विधिनेज्यमाने सर्वे प्रसीद...
शिव शम्भू के स्वरुप का मतलब
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शिव शम्भू के स्वरुप का मतलब आइये शिव शम्भू के स्वरुप के बारे मे जाने जटा पे चन्द्रमा विराजित है, और उससे गंगा निकल रही है, गले मे सर्प की माला है, कंठी के ऊपर विष धरा हुआ है और कमर पे बाघम्बर को लपेटे हुए है, साथ मे त्रिशूल भी है | शिव शम्भू का स्वरुप, ये दर्शाता है की जो भी व्यक्ति घर का चन्द्रमा बन के रहेगा खाश कर घर का सबसे बड़ा को चन्द्रमा बनकर रहना चाहिए, चन्द्रमा ज्ञान देने वाला होता है | घर के बड़े बुजुर्...