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यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता | Yatr naryastu pujayante ramante tatr devta

Yatr naryastu pujayante ramante tatr devta  यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता  "यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता |  यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:" || "यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता" |  जहां स्त्रिओं  का सम्मान होता है, वहाँ देवता का वास होता है, वहाँ देवता प्रसन्न रहते है |    यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता जिस घर में नारी जाति को सम्मान मिलता है उस घर में देवता मंत्रमुग्ध हो रमे रहते है | उस घर में हमेशा यश, सुख, समृद्धि होती है |    Where women are respected, cared for, positivity happiness good environment prevails there.  “Where women are respected, their divinity prevails and shines!”. If the women in the society are honored, the divinity blossoms there. And, where society dishonors them, all the actions remain unfruitful.  "यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:"  जहाँ स्त्रियों का सम्मान नहीं होता वहाँ किये गए समस्त अच्छे काम भी निष्फल होते है |...

Dry cough cause, symptoms and ayurvedic treatment remedy

  सुखी खाँसी की बेहतरीन आयुर्वेदिक घरेलु उपाय  Dry cough cause, symptoms and ayurvedic treatment remedy  सुखी खाँसी क्यों होती है?     सुखी खांसी के कारण और निदान  जब सुखी खाँसी होती है तो  बलगम   नहीं निकलता | गले में दर्द और irritation होता है | लगातार खाँसी आती है | पूरा चेहरा लाल हो जाता है | chest  pain होने लगता है |  खांसते - खांसते Ribs के side के area  में दर्द होने लगता है |  Dry cough cause, symptoms and ayurvedic treatment remedy  ये स्वास रोग है, ये वात और कफ के प्रकोपित होने से होता है | स्वास रोग प्राण वायु का दोष है | प्राण वायु दो तत्वों (महाभूतों) से मिलकर बनता है | वायु और जल | यदि प्राण वायु में जल तत्व ज्यादा बढ़ जाता है तो wet cough  होता  है  बलगम निकलता है |  यदि वायु तत्व अधिक हो जाता है तो dry cough होता है |  Dry cough cause, symptoms and ayurvedic treatment remedy  सुखी खाँसी वायु के बढ़ने से होता है ये वात से प्रकोपित रोग है | वायु chest में सूखापन लात...

कुछ पेड़ के पत्ते पतझर के मौसम में झड़ जाते है ? why some plant shed their leaf in winter

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  कुछ पेड़ के पत्ते पतझर के मौसम में झड़ जाते है ?   कुछ पेड़ के पत्ते पतझर के मौसम में झड़ जाते है ? जब पत्ते झड़ जाते है तो पेड़ का खाना कैसे बनता है और पेड़ जीवित कैसे रहता है? हम सभी जानते है पेड़ अपने खाना सूर्य की ऊर्जा की उपस्थिति में जमीन से जड़ द्वारा पानी और खनिज तत्वों को अवशोषित कर और हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड की मदद से खुद बनाते है | वही उनके ऊर्जा का स्रोत है | जब सर्दी आती है तो दिन बहुत छोटा हो जाता है, सूर्य की रौशनी पृथ्वी पर बहुत ही कम पड़ती है | जब सूर्य की रौशनी ही बहुत कम या नहीं के बराबर होती है तो पौधे खाना नहीं बना सकते | बहुत ही कम सूर्य की रौशनी की उपस्थिति में खाना बनाने का संघर्ष करने के बजाय पेड़ अपने पत्तों को झाड़ कर आराम करना बेहतर समझते है | इस अवस्था में उसे बहुत ही कम ऊर्जा की जरुरत पड़ती है और पेड़ के पास पर्याप्त खाना और पानी उसके तना में जमा होती है जो की बसंत के आने तक आराम से चल जाता है | जैसे ही बसंत ऋतू का आगमन होता है सूर्य की रोशनी पर्याप्त आने लगती है पेड़ में नए पत्ते आने शुरू हो जाते है पेड़ फिर से अपने काम में लग जाता है | how-to-s...

Acidity की सबसे सस्ती रसोई में मौजूद दवा | एसिडिटी को जड़ से ख़त्म करने वाली दवा

  Acidity की सबसे सस्ती रसोई में मौजूद दवा   एसिडिटी को जड़ से ख़त्म करने वाली दवा   सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है ?     एसिडिटी होता क्यों है ? जब पाचन मंद हो जाता है तो हमारे शरीर में अम्ल बढ़ जाता है | आयुर्वेद में छाती से ऊपरी भाग kapha का भाग है  | Acidity  kapha और पित्त इन दोनों के दोष से होता है | Acidity की सबसे सस्ती रसोई में मौजूद दवा जब भी अग्नि कम होगी पाचन मंद होता है और शरीर में द्रव्य की मात्रा बढ़ जाता है तो एसिड बनता है जिसके कारण छाती में जलन होता है |   एसिडिटी होने पर  एंटासिड या सोडा   लेकर  कर हम थोड़ी देर के लिए राहत तो देते है किन्तु फिर से एसिडिटी और ज्यादा प्रभावी होकर उखरता है | क्यूंकि एसिडिटी का जो कारण है वो शरीर से दूर नहीं हुआ है |  आयुर्वेद रोग को दबाने के तरीके नहीं बतलाता है | आयुर्वेद में रोग के कारण को ख़त्म कर रोग को पूर्णतः ख़त्म किया जाता है |  लगातार एसिडिटी की दवा का सेवन करने से शरीर में उसका असर ख़त्म होने लगता है और फिर दव...

अठंगर कुटाय गीत विवाह गीत | Athangar kutay vivah geet geet vivah geet

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  अठंगर कुटाय गीत विवाह गीत   Athangar kutay vivah geet  vivah geet  अठंगर कुटाय  Athangar kutay vivah geet  आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से | आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से    बन ठन बर अइला अवधवा से |  बन ठन बर अइला अवधवा से | आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से  आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से  जे रघुकुल के  वीर कहावत | जे रघुकुल  के  वीर कहावत  बांधू  सखी कॉचे डोरवा से | बांधू  सखी कॉचे डोरवा से अहे  बांधू सखी कॉचे डोरवा से  आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से |  आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से | Athangar kutay vivah geet  कि बहिया की नृप कुल बालक |  कि बहिया की नृप कुल बालक  बुझब ओखरी मुसारवा  से | अहो, बुझब ओखरी मुसरवा से  आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से |  आज धनवाँ  कुटाऊ चारों बरवा से    चारु बरवा से हो चारु बरवा से, चारु बरवा से हो चारु बरवा से |  आज धनवाँ  कुटाऊ ...

Dwar chekai shadi geet | शादी गीत द्वार छेकाई नेग गीत |

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  द्वार छेकाई नेग गीत  Dwar chekai shadi geet   द्वार के छेकाई नेगा पहले चुकइयो हो दुलरुआ भैया | तब जइह कोहबर अपन हे दुलरुआ भैया तब जइह कोहबर अपन हो दुलरुआ भैया  तब जइह कोहबर अपन हो दुलरुआ भैया  Dwar chekai shadi geet ससुर के कमायी देल्हा बहिनी के दियउ हे दुलरुआ भैया,  तब जैहै कोहबर अपन हे दुलरुआ भैया |  तब जैहै कोहबर अपन हे दुलरुआ भैया |  Dwar chekai shadi geet साला के कमाई देलहा बहिनी के दिहा हे  तब जैहै कोहबर अपन हे दुलरुआ भैया |  तब जैहै कोहबर अपन हे दुलरुआ भैया |  बहुत दिन से हम असरा लगै लियै हे दुलरुआ भैया  आज आसरा दियो न पुराय हे दुलरुआ भैया  Dwar chekai shadi geet कोहबर लिखाई पहले भौजी से लेबै हे दुलरुआ भैया,  तब दिहा अपन कमाई हे दुलरुआ भैया |  रखियो के खुसिया हमें आज मनइबै हे दुलरुआ भैया  तब जैहै कोहबर अपन हे दुलरुआ भैया | द्वार के छेकाई नेगा पहले चुकइयो हो दुलरुआ भैया | तब जइह कोहबर अपन हे दुलरुआ भैया

हिंदी में एक से पचास तक हिंदी में | हिंदी में 1 से 50 तक हिंदी में

हिंदी में  एक   से पचास तक हिंदी में           १ - एक  २ - दो ३ - तीन ४ - चार ५ - पांच  ६ - छह  ७ - सात  ८ - आठ  ९ - नौ  १० - दस  ११ - ग्यारह  १२ - बारह  १३ - तेरह १४ - चौदह १५ - पन्दरह  १६ - सोलह  १७ - सत्रह   १८ - अठारह   १९ - उन्नीस २० - बीस २१ - इक्कीश २२ - बाईस  २३ - तेईस २४ - चोबीस  २५ - पचीस  २६ - छब्बीस २७ - सताइस  २८ - अट्ठाइस  २९ - उन्नतीस  ३० -  तीस  ३१ - एकतीस ३२ - बत्तीस  ३३ - तेतीस  ३४ - चउतीस ३५ - पैंतीस ३६ - छत्तीस ३७ - सैतीस ३८ - अड़तीस  ३९ - उनचालिस ४० - चालीस  ४१ - इकतालीस  ४२ - ब्यालिस ४३ - तेतालीस ४४ - चौआलिस  ४५ - पैतालीस   ४६ - छयालीस   ४७ - सैतालिस  ४८ - अड़तालीस  ४९ - उन्नचास  ५० - पचास 

How to sprout any cereals, millets, or pulses | Sprouts of any grains

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How to sprout any cereals, millets, or pulses Sprouts of any grains To sprout cereals, pulses or millets, first wash the grains properly with water.  Sprouts of any grains Then soak the grains in water for 7 - 10 hours.  The water level should be above the grains even after the grains are soaked. Then drain the water from the container and cover it with a cloth or a mesh. All the grains will sprout within 24 - 48 hours.  Sprouts of any grains The season is also a factor for sprouts. The grains sprout best in the season in which the grains are cultivated.  Red chana and mung sprout CHATPATI SPROUT SALAD  Sprout mung fry sprouts salad To sprout cereals, pulses or millets, first wash the grains properly with water.  Then soak the grains in water for 7-10 hours.  The water level should be above the grains even after the grains are soaked. Then drain the water from the container and cover it with a cloth or a mesh. All the grains will sprout within 24-48 ho...

Neem its benefits | The best solution of skin problem, Kapha, Pitta, Obesity | Nimbora | Margosa

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Neem its benefits    Neem, Magosa, निम्बरो, करुनीम  नीम के गुण और उसके इस्तेमाल करने का तरीका और फायदे |   The best solution of skin problem, Kapha , Pitta, Obesity.  नीम की प्रकीर्ति आयुर्वेद में लघु कहा गया है | लघु का मतलब हल्का | ये बहुत आसानी से शरीर के द्वारा अवशोषित होता है | ये स्वाद में कड़वा और कसैला होता है | इसकारण ये kapha और pitta  के  कारण  जो परेशानी होती है उसके लिए सबसे अच्छा दवा होता है | कड़वा और कसैला रस होने के कारण kapha और pitta को कम करता है |  स्वाभाव में ठंडा होता है |  शरीर में कैसे भी बैक्टीरिया, वायरस, कृमि, कीड़े के प्रकोप हो | किसी भी तरह की कृमि अगर शरीर में पनप रहे हों तो उसे  पनपने से रोकता है | ये liver को activate करता है | इसकारण लिवर के बिमारियों में जैसे पीलिया [ jaundice ] में बहुत उपयोगी है | कैसी भी jaundice  में नीम उपयोगी है |  जब कभी खाने की अरुचि हो तो neem  का पत्ता खाएं | अगर कोई पेट की बीमारी हो,  कृमि   हो तो 2 tbs नीम रस में 1tbs  honey डालकर ली...

#Mahamrityunjaymantra | #Mahamantra | #Shivmantra | महामृतुंजय मन्त्र"

  महामृतुंजय मन्त्र" #Mahamrityunjaymantra #Mahamantra #Shivmantra ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रियम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वा रुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात | ॐ स्वः भुवः भूः ॐ स्वः जूं हौं ॐ || ॐ हौं जूं स्वः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रियम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वा रुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात | ॐ स्वः भुवः भूः ॐ स्वः जूं हौं ॐ || ॐ हौं जूं स्वः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रियम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वा रुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात | ॐ स्वः भुवः भूः ॐ स्वः जूं हौं ॐ || ॐ हौं जूं स्वः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रियम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वा रुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात | ॐ स्वः भुवः भूः ॐ स्वः जूं हौं ॐ || ॐ हौं जूं स्वः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रियम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वा रुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात | ॐ स्वः भुवः भूः ॐ स्वः जूं हौं ॐ || ॐ हौं जूं स्वः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रियम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वा रुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात |

Abhyang | Benefits of full body massage | अभ्यंग | Astanghridayam

  अभ्यंग    Abhyanga Benefits of full body massage  आयुर्वेद में कहा गया है --  "अभ्यंगम आचरेत नित्यं, स जराश्रमवातहा: | दृष्टिप्रसाद पुष्टि आयु:स्वप्नसुत्वक्त्वदार्ढ्यकृत्"|| अभ्यंगम का मतलब शरीर का मसाज |    अभ्यंग नित्य करना चाहिए |  अभ्यंग अगर रोज करते है तो बुढ़ापा जल्दी नहीं आता | थकावट नहीं होती है और वायु जनित विकार नहीं होते है | नेत्र ज्योति को निर्मल करता है, शरीर को पुष्ट करता है आयु को बढ़ता है, निद्रा अच्छी आती है, त्वचा के सौंदर्य को स्थिर रखने वाला तथा शरीर को मजबूत करता है |    शिरः श्रवणपादेषु तं विशेषेण शिलयेत |    शिर, कान,एवं पैर के तलुओं पर विशेष रूप से प्रतिदिन मालिस करना चाहिए |   ऋतू के अनुसार शीत ऋतू में गरम और गर्मी में ठन्डे तेल से अभ्यंग करना चाहिए |     नाक में तेल डालने से त्वचा,गर्दन,कन्धा,मुखमण्डल,एवं वक्षःस्थल पुष्ट होता है | त्वचा में झुर्रियां केशों में  श्वेतता तथा झाईयां नहीं होती |   जिस प्रकार रथ के धुरा पर तेल लगाने से रथ का पहिया सरलता से चलता है वैसे ह...

सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम | Durga Saptsati Sidhikunjikastotram | दुर्गा सप्तसती

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  सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम  Sidhikunjikastotram दुर्गा सप्तसती      ॐ   शिव उवाच  सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम  शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।  येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥1॥  न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।  न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥  कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।  अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥3॥  गोपनीयं प्रयत्‍नेन स्वयोनिरिव पार्वति।  मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।  पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥4॥  ॥ अथ मन्त्रः ॥  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥  ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल  प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥ ॥ इति मन्त्रः ॥  नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।  नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥1॥  नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि।  जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥2॥  ऐ...