अधिक मास | पुरुषोत्तम मास | मलमास क्या है | Adhikmas | Malmas | Purushotam mas
अधिक मास पुरुषोत्तम मास
ॐ
श्री गणेशाय नमः
अधिक मास
पुरुषोत्तम मास
मलमास
काल की गणना वैदिक केलिन्डर के अनुसार सूर्य और चंद्र की गति से होता है | सूर्य और चंद्र चलायमान होता है | चन्द्रमा सूर्य से धीमे चलता है |
गणना के अनुसार एक वर्ष में चन्द्रमा सूर्य की गति से १० दिन पीछे रह जाता है | इसी तरह चन्द्रमा दूसरे वर्ष भी १० दिन पीछे रह जाता है | तीसरे वर्ष भी १० दिन पीछे रह जाता है |
वैदिक केलिन्डर में सूर्य और चन्द्रमा की गति को तीन साल में एक बार फिर से स्थापित कर एक साथ किया जाता है | जिससे तीन वर्ष में एक अधिक मास बन जाता है |
ऐसा शास्त्र में वर्णन है कि एक बार सब मास आपस में चर्चा करने लगे कि किसकी क्या महिमा है |
सभी मास ने अपनी महिमा बतलायी | सभी माह में कुछ न कुछ विशेष होता है |
जैसे चैत्र मास श्री रामचंद्र भगवान का जन्म | भाद्रपद में श्री कृष्ण भगवान का जन्म | कार्तिक मास में कृष्ण ने गोवर्धन उठाये | इस तरह करीब - करीब हर मास मे भगवान् की कुछ न कुछ महिमा है | लेकिन अधिक मास में कुछ भी नहीं होता |
सभी मास उसकी हसी उड़ाने लगे और कहने लगे ये मास तो किसी काम का नहीं ये तो मल के समान है इसलिए अधिक मास को मलमास भी कहते है | मलमास दुखी होकर नारद मुनि के पास गए | नारद मुनि उन्हें भगवान के धाम वैकुण्ठ लेकर गए |
मलमास ने भगवान को अपना दुःख सुनाया | भगवान ने उन्हें आश्वस्त किया कि आज से मैं तुम्हारा अधिष्ठाता देव बनुंगा | तब से अधिक मास के अधिष्ठाता भगवान् कृष्ण है इस कारण उनके नाम पर इस मास का नाम पुरुषोत्तम मास भी है |
भगवान् ने गीता के १५ वें अध्याय के १६ से २० वें श्लोक में स्वयं के पुरुषोत्तम होने का वर्णन किया है |
इस मास में हम भगवान् पुरुषोत्तम की भजन कीर्तन करते है |
नाम महा धन है अपनों, नहीं दूसरी सम्पति और कमानी
हमें औरन की परवाह नहीं अपनी ठकुरानी श्री राधिका रानी
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