"स्थानं प्रभावं न बलं प्रभावं " | Sthanam prabhavam na balam prabhavam | पद्मपुराण | Padmpuran
ॐ
श्री गणेशाय नमः
"स्थानं प्रभावं न बलं प्रभावं "| पद्मपुराण
"स्थानं प्रभावं न बलं प्रभावं "
पद्मपुराण
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पद्मपुराण |
पद्मपुराण में वर्णन है
एक बार शिव शम्भु और भगवान् विष्णु एक साथ बैठ कर किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे |
शिवजी के गले का सांप भगवान् विष्णु के वाहन गरुड़ को कभी सिर पे कभी बगल में फुफकार मार कर परेशान करने लगा |
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गरुड़ जी बहुत परेशान हो रहे थे | थोड़ी देर तो उन्होंने सहन किया | फिर गरुड़ जी से रहा नहीं गया | उन्होंने सांप को आँख दिखा कर कहा तेरे जैसे हजारों सांप को मैं एक सेकंड में खा लूँ | तुम इस भ्रम में मत रहना की तू बहुत बलवान है इस कारण परेशान कर रहा है और मैं कमजोर हूँ तो तुम्हे सहन कर रहा हूँ |
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मैं गरुड़ हूँ मेरे नाम से सांप डरते है | मैं एक सेकंड में हजारों सांप खा जाऊं | तुझे भी खा सकता हूँ लेकिन क्या करूँ तू शिवजी के गले में सुशोभित है इस कारण तू बच रहा है | जिस स्थान पर बैठा है न उस स्थान का बहुत प्रभाव है, वो स्थान बहुत विशेष है उसकी बहुत महिमा है इस कारण मैं तुझे छोड़ रहा हूँ |
तुम्हारे बल का कोई प्रभाव नहीं है स्थान का प्रभाव | तू एक बार शम्भु के गले से उतर कर फुफकार मार के देख | तेरी क्या हाल करता हूँ |
"स्थानं प्रभावं न बलं प्रभावं "
हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा
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