देवी अनसूया | पतिव्रता धर्म | पतिव्रता स्त्री की ताकत | भगवान दत्तात्रय का जन्म | पतिव्रता स्त्री
देवी अनसूया पतिव्रता धर्म
पतिव्रता स्त्री की ताकत
भगवान दत्तात्रय का जन्म
पतिव्रता स्त्री
देवी अनसूया
पतिव्रत धर्म
पतिव्रता स्त्री की ताकत
भगवान दत्तात्रय का जन्म
पतिव्रता स्त्री
एक दिन नारद मुनि वैकुण्ठ में आते है और लक्ष्मी जी के पास गए | लक्ष्मीजी भगवान के पाऊं दबा रही थीं | नारदजी ने कहा क्या करते रहती हैं, जब आता हूँ भगवान के पाऊं दबती रहती हैं | सेवा करना है तो ठीक से कीजिये | लक्ष्मीजी ने कहा और कैसे सेवा करूँ?
नारद मुनि ने कहा धरती पर जाओ देखो देवी अनसुइया देखो अपने पतिअत्रि ऋषि की कितने सुन्दर से सेवा करती है | वो ऐसी पतिव्रता नारी है कि उसका नाम तीनों लोकों में प्रसिद्ध हो रहा है |
देवी अनसुइया कि नारद जी ने इतनी प्रसंसा कि कि देवी लक्ष्मी को रहा नहीं गया |
लक्ष्मी जी ने माँ पार्वती और ब्रम्हाणी के साथ बात की | कहा हमलोगों के होते कोई और प्रसिद्ध हो रही है ये सहन नहीं हो रहा | यदि वास्तव में अनसुइया पतिव्रता है तो हम उसकी परीक्षा लेंगे | तीनो ने विचार किया की क्या करे? फिर सोचा हम अपने पतियों को भेजते है | अपने पति को मनाकर देवी अनसुइया की परीक्षा लेने भेजा |
तीनो देवों ने अपनी पत्नी के कहने पर ब्राह्मण का रूप बनाकर देवी अनसुइया के पास गए |
अनसुइया तो नाम से ही विदित है कि जो कभी किसी की निंदा न करे | अत्रि का मतलब जो तीनो गुणों से ऊपर हो | इन दोनों कि बहुत सुन्दर गृहस्थी थी |
तीनो देव उनके आश्रम में जाकर कहते है -- भिक्षाम देहि |
देवी अनसुइया भिक्षा देने आयी तो देवों ने कहा -- हम साधारण ब्राह्मण नहीं है हम बहुत पहुंचे हुए संत है हम ऐसे भिक्षा नहीं लेते | देवी अनसुइया ने कहा तो मैं आपको कैसे भिक्षा दूँ |
देवों ने कहा --हमें निर्वस्त्र होकर भिक्षा देंगी तब ही हम भीक्षा ग्रहण करेंगे | अब अनसुइया ने सोचा दान मना करती हूँ तो पति धर्म नष्ट होता है | मेरे पति के द्वार से कोई खाली हाथ वापस नहीं जाता | और निर्वस्त्र होकर दान करती हूँ तो पतिव्रता धर्म नष्ट हो जायेगा | क्या करूँ ??
उन्होंने तुरंत सोचा कि इन तीनो को एक - एक दिन का बालक बना दूँ तो ये हो सकता है | उन्होंने सूर्य देव से हाथ जोड़ कर हाथों में जल लेकर संकल्प किया -- यदि मैंने अपने पति कि हृदय से सेवा कि है, यदि मैंने स्वप्न में भी पर पुरुष के बारे में सोचा नहीं है मैंने हमेशा अपने पति को प्रसन्न किया है तो ये तीनो ब्राह्मण एक - एक दिन के ब्राह्मण बन जाए | बस देखते ही देखते तीनो ब्राह्मण कहे अनुसार बालक बन कर रोने लगे |
एक दिन के बालक के सामने निर्वस्त्र होकर भिक्षा देने में कोई पतिव्रता धर्म नष्ट नहीं होता | देवी ने भिक्षा दे दी और बालकों को तीन पलने में सुला दिया |
बहुत दिन बीतने पर तीनों देवियाँ परेशान होकर अपने पति की खोज में निकली | अभी तक हमारे पति लौट कर क्यों नहीं आयें |
उन्होंने अनसूया के पास जाकर कहा मेरे पति कहाँ है?
अनसूया ने पूछा कौन है आपके पति ? देवियों ने कहा -- ब्रह्मा, विष्णु और महेश |
अनसूया ने कहा -- मैं नहीं जानती | हाँ, यहां तीन ब्राह्मण आये थे वो उस पलने में है | देवियों ने कहा -- हाँ हाँ वहीं है | वो तीनों हमारे कहने पर आपकी पतिव्रता की परीक्षा लेने आये थे | अपने पतियों को इस रूप में देख कर तीनों देवियाँ हैरान हो गयीं | उन्होंने देवी अनसूया से माफ़ी मांगी | हमें माफ़ कर दें हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी कृपा करके इनको इनके वस्तविक रूप में ला दें |
माँ अनसूया ने उन्हें माफ़ कर दिया और सूर्य देव से संकल्प किया -- यदि मैंने अपने पति कि हृदय से सेवा कि है, यदि मैंने स्वप्न में भी पर पुरुष के बारे में सोचा नहीं है मैंने हमेशा अपने पति को प्रसन्न किया है तो ये तीनो बालक अपने वास्तविक रूप में आ जाए | देवी अनसूया के ऐसा बोलते ही तीनो देव अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गए | देवी अनसूया की पतिव्रता धर्म की ताकत ही तीनों देवों को बालक बना दिया|
अभी तो हमारी पत्नियां हमें लेने आयी है, आप अभी हमें माफ़ कर दें, अभी तो हम जा रहे है | लेकिन हम तीनों एक ही स्वरुप में आपके घर में आपके पुत्र रूप में "भगवान् दत्तात्रय" के रूप में जन्म लेंगे |
देवी अनसूया की पतिव्रता धर्म की वजह से भगवान पुत्र रूप में उनके घर में जन्म लेते है | एक पतिव्रता स्त्री की ताकत ऐसी होती है की स्वयं भगवान उनके घर जन्म लेते है |
पतिव्रता स्त्री जिस घर में हों उस घर में स्वयं भगवान जन्म लेते हैं | उस घर में भगवान का वास होता हैं
राधे मेरी स्वामिनी मैं राधे को दास
जय जय श्री राधे | हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्ण - कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम - राम हरे हरे | जय जय श्री राधे | हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्ण - कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम - राम हरे हरे | जय जय श्री राधे | हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्ण - कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम - राम हरे हरे | जय जय श्री राधे | हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्ण - कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम - राम हरे हरे | जय जय श्री राधे | हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्ण - कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम - राम हरे हरे | जय जय श्री राधे | हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्ण - कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम - राम हरे हरे |
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