श्रीमद्भागवत गीता
हमारे शरीर का निर्माण कैसे हुआ
जीवात्मा के निर्माण का रहस्य
शरीर को चलाने वाले दस तत्व
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Parmatma |
प्रत्येक जीव का निर्माण ब्रह्माजी ने किया | जीव शरीर पांच स्थूल तत्वों से पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है साथ ही साथ शरीर के निर्माण में चार सूक्ष्म तत्व हैं -- मन, बुद्धि, अहंकार और आत्मा | इन नौ तत्वों से ब्रह्माजी ने जीव शरीर तो बनाया, लेकिन तब भी शरीर कार्यान्वित नहीं हुआ |
ब्रह्मा जी भगवान् के पास गए | भगवान् विष्णु को कहा -- प्रभु मैंने बहुत मेहनत से जीव शरीर बनाया लेकिन वो चलायमान नहीं हो रहा | क्या करूं, उपाय बतलायें | तब भगवान विष्णु ने अपना विस्तार करोड़ों स्वरुप में किया | करोड़ों स्वरुप में फैलकर परमात्मा के रूप में प्रत्येक जीव के हृदय में प्रवेश किये |
जब परमात्मा का जीव के हृदय में प्रवेश हुआ, तो परमात्मा से आत्मा को शक्ति मिली और आत्मा से पुरे शरीर में शक्ति मिली तब शरीर चलायमान हुआ |
शरीर को कार्यान्वित करने वाला तत्व है "परमात्मा" |
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान् ने बतलाया की हमारा शरीर इन दस तत्वों से बना है | जब तक ये दस तत्व न हो एक जीव का शरीर चलायमान नहीं होता |
Sri Vishnu dhyanam
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
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