हिंदी देशभक्ति कविता | रहूं भारत पे दीवाना | Ram Prasad Bismil | राम प्रसाद बिस्मिल | Rahu Bharat Pe Diwana

 मुझे वर दे यही माता रहूं भारत पे दीवाना


श्री राम प्रसाद बिस्मिल रचित कविता

मुझे वर दे यही माता रहूं भारत पे दीवाना

 हिंदी देशभक्ति कविता 

 रहूं भारत पे दीवाना 

 Sri Ram Prasad Bismil 

 राम प्रसाद बिस्मिल रचित कविता


राम प्रसाद बिस्मिल क्रान्तिकारी धारा के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे |

राम प्रसाद बिस्मिल अपनी कविता राम और अज्ञात नाम से लिखते थे। 

राम प्रसाद बिस्मिल को 30 वर्ष की आयु में फाँसी दे दी गई।

वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य थे।  

 राम प्रसाद बिस्मिल एक कवि, शायर व साहित्यकार भी थे।


  मुझे वर दे यही माता रहूं भारत पे दीवाना 

न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना


मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना


करुँ मैं कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख


अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना 


लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखुँ हिन्दी


चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना


भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की


स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना


लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन


करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना


नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से “बिस्मिल” तुम


उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना   


CORN PAKORA RECIPE


Rahu Bharat Pe Diwana 


Mujhe var de yahi mata rahun bharat pe diwana


Na chahun maan duniya mein, na chahun swarg ko jana


Mujhe var de yahi mata rahun Bharat pe deevana


Karun main kaum ki seva pade chahe karoro dukh


Agar fir janm lun akar to bharat mein hi ho ana


Laga rahe prem hindi mein, padhun hindi likhun hindi


Chalan hindi chalun, hindi paharna, odhana khana


Bhavan mein roshani mere rahe hindi chiragon ki


Swadeshi hi rahe baja, bajana, rag ka gana


Lagen is desh ke hi arth mere dharm, vidya, dhan


Karun main pran tak arpan yahi prn satya hai thana


Nahin kuchh gair-mumakin hai jo chaho dil se “Bismil” tum


Utha lo desh hathon par na samajho apana begana


Jai Hind Jai Bharat  


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